Exclusiveमुख्यपेज

सत्ता की छाप: महिला शासकों के ऐतिहासिक सिक्के

इंडिया प्राइम। हिस्ट्री डेस्क देवेन्द्र सिंह तंवर। सत्ता की छाप: महिला शासकों के ऐतिहासिक सिक्के इतिहास में सिक्कों का विशेष महत्व है और किसी शासन के इतिहास का प्रमाण के साथ साथ सिक्के या मुद्राए राज्य की राजनैतिक, आर्थिक, समाजिक जानकारी उपलब्ध करवाते है। वैसे तो विश्व भर में मुद्राओं यानी सिक्कों को कीमती धातु और वजन के हिसाब से तवज्जो मिलती रही है। लेकिन पुरूष शासकों के वरचस्व में इतिहास में महिला शासकों का बनना और उनके सिक्कों की स्वीकार्यता आमजन में होने बेहद चुनौतीभरा है। ऐसी ही विश्व और भारत की महिला शासकों के जारी सिक्कों की रोचक जानकारी हम यहा करगें।

पुरुष शासकों के लिए सिक्के जारी करना एक “सामान्य” प्रक्रिया थी, क्योंकि पुरुषों का शासन परंपरागत रूप से स्वीकार्य था। लेकिन महिला शासकों के लिए उन्हें “अपवाद” या “अस्थायी” शासक माना जाता था, इसलिए सिक्कों पर उनका नाम और छवि उकेरकर सत्ता के प्रति जनता की स्वीकृति बढ़ाना आवश्यक था।

विश्व और भारत में कई ऐसी महिला शासकों के उदाहरण है जिनमें उनके काल में जारी सिक्कों को पुरूष मानसिकता वाले समाज ने मान्यता नही दी । विष्व में क्लियोपेट्रा ने अपने सिक्कों पर स्वयं को देवी आइसिस के रूप में प्रस्तुत किया, ताकि उनकी सत्ता को दैवीय समर्थन प्राप्त हो।जबकि भारत की पहली महिला शासक और दिल्ली सल्तनत की रज़िया सुल्तान ने अपने सिक्कों पर खलीफा का नाम शामिल किया, ताकि उनकी वैधता को धार्मिक स्वीकृति मिल सके।

महिला शासकों के सिक्के केवल मुद्रा नहीं, बल्कि सत्ता संघर्ष, लैंगिक असमानता के विरुद्ध संघर्ष और राजनीतिक प्रचार का माध्यम थे। जहाँ पुरुष शासकों के सिक्के “सत्ता के प्रतीक” थे, वहीं महिलाओं के सिक्के “सत्ता के लिए संघर्ष के प्रतीक” बन गए।

पुरुष शासक अपने सिक्कों पर युद्ध-विजय, धर्म या वंशवाद को प्रमुखता देते थे। वही महिला शासक स्त्रीत्व और शक्ति का संतुलन दिखाना पड़ता था। एलिजाबेथ प्रथम ने अपने सिक्कों पर “वर्जिन क्वीन” की छवि बनवाई, जो उनकी अविवाहित स्थिति को रणनीतिक रूप से इस्तेमाल करती थी।विक्टोरिया ने भारत में “महारानी” (Empress of India) की उपाधि धारण करके साम्राज्यवादी प्रभुत्व जताया।

पुरुष शासक के सिक्के अक्सर सैन्य शक्ति या धार्मिक प्रतीकों तक सीमित रहते थे। वही महिला शासक स्त्री शासन को सामान्य बनाने का प्रयास किया। उदाहण देखे तो बाइज़ेंटाइन साम्राज्य की महिला शासकों (जैसे थियोडोरा) ने सिक्कों पर पुरुषों के समानांतर अपनी छवि अंकित करवाई।

महिला शासकों के सिक्के विदेशी संबंधों में महत्वपूर्ण थे इसका उदाहरण क्लियोपेट्रा ने रोमन नेताओं (सीज़र, एंटनी) के साथ संयुक्त सिक्के जारी कर राजनीतिक गठजोड़ दर्शाने की जानकारी उपलब्ध है। वही इंग्लैंड की मैरी प्रथम ने स्पेन के फिलिप द्वितीय के साथ सिक्के बनवाकर वैवाहिक गठबंधन को प्रमुखता दी।

भारतीय उदाहरण: रज़िया सुल्तान (1236-1240 ई.)

  • दिल्ली सल्तनत की पहली और एकमात्र महिला शासिका थीं।

  • उनके नाम के सिक्के “रज़ियत उद-दीन बिन्त इल्तुतमिश” लिखे हुए जारी किए गए थे।

  • उनके सिक्कों पर अरबी में उनका नाम और खलीफा का नाम अंकित था।

  • ये अधिकतर चाँदी के रुपया, तांबे के दाम, और कभी-कभी सोने के मुहर के रूप में मिलते हैं।

  • सिक्के मुख्य रूप से 1620–1627 ई. के बीच जारी हुए, जहाँ नूरजहाँ का प्रभाव चरम पर था

 ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

  • नूरजहाँ ने 1611 ई. में जहाँगीर से विवाह किया।

  • जल्द ही उन्होंने दरबार की राजनीति में बड़ी भूमिका निभाई।

  • जहाँगीर शराब और अफीम की लत के कारण शासन में सुस्त हो चुके थे, इसलिए नूरजहाँ ने कई मामलों में निर्णय लेने शुरू किए।

    सोमलेखा अजमेर चौहान वंश 

    अजमेर के चौहान वंश का इतिहास 7वीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी तक फैला हुआ है। सोमलेखा अजमेर के चौहान वंश की एक महत्वपूर्ण महिला थीं। अजयराज ने ‘श्री अजयदेव’ नाम से चाँदी के सिक्क चलाये। कुछ मुद्राओं पर उसकी रानी सोमलेखा (सोमलवती) का नाम भी अंकित मिलता है। सोमलेखा को ‘बोपूशाही’ के नाम से भी जाना जाता है।सोमलेखा या सोमलेखा सोमलादेवी का एक रूप प्रतीत होता है, जो बिजोलिया शिलालेख के अनुसार अजयराज की रानी का नाम था। राजा के सिर और नागरी लिपि में “श्री सोमलादेवी” (या “श्री सोमलादेवी”) की कथा वाले कुछ दुर्लभ चांदी के सिक्के खोजे गए हैं। घुड़सवार की छवि के साथ उसी कथा वाले तांबे के सिक्के भी पाए गए हैं। 
    • सिक्के:
      उन्होंने अपने शासनकाल में तांबे और चांदी के सिक्के जारी किए थे, जिन पर उनका नाम अंकित था।
    • महत्व:
      इन सिक्कों का ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि ये राजस्थान के इतिहास में महिलाओं द्वारा जारी किए गए सिक्कों के उदाहरण हैं।

      रानी चंदोड़ी मेवाड़ रियासत

      चंदोड़ी के सिक्के

      राजस्थान में चंदोड़ी के सिक्के, विशेष रूप से मेवाड़ रियासत के, चांदी के सिक्के थे जो आमतौर पर 1/2 रुपये के मूल्यवर्ग में ढाले जाते थे. ये सिक्के “चंदोरी” श्रृंखला का हिस्सा थे. 

रानी नागनिका सातवाहन राजवंश

रानी जिसने मिश्रित धातु में सिक्का जारी किया उसका सम्बंध महाराष्ट्र में 2 हजार साल पहले सातवाहन राजवंश था। उस राजवंश में रानी नागनिका थी। कहा जाता है कि भारतीय उपमहाद्वीप की पहली रानी थी जिसने अपने नाम से सिक्का जारी किया। उन्होंने अपने पति राजा सातकर्णी के साथ मिलकर सिक्के जारी किए थे। इस पर ब्राह्मी लिपी में रानी का लिखा है। इसे मिश्रित धातु से बनाया गया था।

विश्व के प्रमुख महिला शासक सिक्के 

1. क्लियोपेट्रा VII (मिस्र, 51–30 ई.पू.)

  • पृष्ठभूमि: टॉलेमिक वंश की अंतिम शासिका और मिस्र की सबसे प्रसिद्ध महिला शासक।

  • सिक्के:

    • चाँदी के द्राख्मा और ताँबे के सिक्कों पर उनकी छवि अंकित थी।

    • कुछ सिक्कों पर वह जूलियस सीज़र या मार्क एंटनी के साथ दिखाई गई हैं।

    • उनके सिक्के यूनानी और मिस्र की कला का मिश्रण दर्शाते हैं।

2. एलिजाबेथ प्रथम (इंग्लैंड, 1558–1603)

  • पृष्ठभूमि: इंग्लैंड की “वर्जिन क्वीन” जिसने देश को स्वर्ण युग में पहुँचाया।

  • सिक्के:

    • “मिलियन फेस” सिक्के (सिल्वर क्राउन) – इन पर उनका युवा और बुढ़ापे का चेहरा उकेरा गया।

    • गोल्ड सोवरेन – उनके शासनकाल की प्रतिष्ठित मुद्रा।

    • सिक्कों पर लैटिन में “Elizabetha D G Ang Fra Et Hib Regina” (एलिजाबेथ, ईश्वर की कृपा से इंग्लैंड, फ्रांस और आयरलैंड की रानी) लिखा होता था।

3. महारानी विक्टोरिया (ब्रिटेन, 1837–1901)

  • पृष्ठभूमि: ब्रिटिश साम्राज्य की सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली महारानी।

  • सिक्के:

    • भारत में “विक्टोरिया रानी” के नाम से सिक्के (रुपये, आना, पाई) चलते थे।

    • उनके सिक्कों पर युवा, मध्यम आयु और वृद्धावस्था के चित्र अंकित हैं।

    • गोल्ड सोवरेन और सिल्वर क्राउन पर उनकी छवि विश्वभर में प्रचलित थी।

4. बेरेनिस II (यहूदिया, 1वीं शताब्दी ई.)

  • पृष्ठभूमि: हेरोद महान के वंश की राजकुमारी और यहूदिया की रानी।

  • सिक्के:

    • उनके नाम के ताँबे के सिक्के रोमन प्रभाव में ढाले गए।

    • कुछ सिक्कों पर ग्रीक और हिब्रू लिपि में उनका नाम लिखा मिलता है।

  • अन्य उल्लेखनीय महिला शासक और उनके सिक्के:

    थियोडोरा (बाइज़ेंटाइन साम्राज्य, 6वीं शताब्दी) – सम्राट जस्टिनियन की सह-शासिका, जिनके सिक्कों पर उनकी छवि मिलती है।

  • इसाबेला प्रथम (कैस्टाइल, स्पेन, 15वीं शताब्दी) – “कैथोलिक महारानी” जिनके सिक्के कोलंबस के युग में प्रचलित थे।

  • कैथरीन द ग्रेट (रूस, 18वीं शताब्दी) – उनके सोने और चाँदी के सिक्के रूसी साम्राज्य की समृद्धि दर्शाते हैं।

रानियों के सिक्कों का जिक्र है, लेकिन ऐतिहासिक प्रमाण नहीं 

. रानी कर्णावती (बूंदी, 16वीं सदी)

  • बूंदी रियासत की राजमाता और प्रभावशाली शासिका थीं।

  • कुछ इतिहासकारों का मानना है कि उनके काल में “करण रानी” नामक सिक्के चलाए गए, हालाँकि इसकी पुष्टि दुर्लभ है।

2. रानी दुर्गावती (मेवाड़ से संबंधित, गोंडवाना की रानी)

  • हालाँकि वह मुख्य रूप से गोंडवाना (मध्य प्रदेश) की शासिका थीं, लेकिन उनका संबंध राजस्थान के सिसोदिया वंश से था।

  • उनके नाम के सिक्कों का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं, लेकिन उनके समय के सिक्कों पर शोध जारी है।

3. महारानी किशोरी देवी (जयपुर, 20वीं सदी)

  • जयपुर की राजमाता थीं, लेकिन उनके नाम से सिक्के जारी नहीं किए गए, क्योंकि तक ब्रिटिश राज में ऐसी प्रथा नहीं थी।

4. रानी हाड़ी (झालावाड़)

  • झाला राजवंश की एक प्रभावशाली महिला थीं, लेकिन उनके सिक्कों का कोई रिकॉर्ड नहीं मिलता।

भारत और राजस्थान के इतिहास में कई शक्तिशाली महिला शासक हुईं, लेकिन उनके नाम से सिक्के जारी करने के स्पष्ट प्रमाण कम मिलते हैं। ऐसे दुर्लभ उदाहरण मिलते है जहां महिला शासकों के सिक्के जारी हुए । गल काल और ब्रिटिश युग में महिलाओं के नाम पर सिक्के ढालने की प्रथा नहीं थी। कुछ स्थानीय लोककथाओं में रानियों के सिक्कों का जिक्र मिलता है, लेकिन ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिले।

“टेकऑफ से ट्रेजडी तक: कैसे 60 सेकंड में गिरा बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर?”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *