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भारत-पाक तनाव: ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सिस्टम का वैश्विक बाज़ार गर्माया

इंडिया प्राइम |  देवेन्द्र सिंह | भारत | 11 May 2025 |भारत-पाक तनाव: ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सिस्टम का वैश्विक बाज़ार गर्माया| 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए, के जवाब में भारत ने 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद का मरकज सुभान अल्लाह केंद्र और लश्कर-ए-तैयबा के अड्डे शामिल थे। इस कार्रवाई ने भारत-पाकिस्तान तनाव को चरम पर पहुंचाया और वैश्विक हथियार बाजार पर गहरा प्रभाव डाला है। विश्व में ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ती हथियार मांग, भारत की वैश्विक साख, और प्रमुख हथियार निर्यातकों के लाभ का विश्लेषण इस लेख में किया जा रहा है।


ऑपरेशन सिंदूर और भारत-पाक तनाव

ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की सैन्य ताकत और कूटनीतिक रणनीति को प्रदर्शित किया। भारत ने S-400, आकाश, QRSAM, और राफेल जैसे उन्नत हथियारों का उपयोग कर पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम किया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 13 देशों को ऑपरेशन की जानकारी दी, जिससे भारत को अमेरिका, रूस, और इज़राइल जैसे देशों का समर्थन मिला।

  • भारत की वैश्विक साख: ऑपरेशन ने भारत को एक जिम्मेदार और शक्तिशाली देश के रूप में स्थापित किया। अमेरिकी विदेश विभाग ने पहलगाम हमले को “अवैध” करार दिया और भारत के साथ खड़े होने की बात कही।

  • पाकिस्तान की स्थिति: पाकिस्तान की साख को भारी नुकसान हुआ। जैश और लश्कर के 200-300 आतंकियों की मौत और चार एयरबेस (नूर खान, मुरीद, रफीकी) की तबाही ने ISI और पाकिस्तानी सेना को कमजोर किया।

  • परमाणु चिंता: दोनों देशों की परमाणु स्थिति ने वैश्विक चिंता बढ़ाई, लेकिन भारत ने सटीक और गैर-उत्तेजक हमलों से रणनीतिक जीत हासिल की।


ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सिस्टम का वैश्विक बाज़ार गर्माया

ऑपरेशन सिंदूर ने वैश्विक हथियार बाजार में निम्नलिखित हथियारों की मांग को बढ़ाया:

1. ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सिस्टम

  • वैश्विक मांग: ड्रोन युद्ध में महत्वपूर्ण हो गए हैं, जैसा कि रूस-यूक्रेन युद्ध और भारत-पाक तनाव में देखा गया। वैश्विक ड्रोन बाजार 2028 तक $63 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है।

  • भारत की भूमिका: भारत ने स्वदेशी ड्रोन (DRDO Rustom, Netra) और काउंटर-ड्रोन सिस्टम का उपयोग किया। X पोस्ट्स के अनुसार, भारत के ड्रोन निर्यात में वृद्धि हो रही है।

  • प्रमुख खिलाड़ी: तुर्की (Bayraktar TB2), अमेरिका (MQ-9 Reaper), इज़राइल (Heron TP)।

2. मिसाइल और वायु रक्षा प्रणालियाँ

  • वैश्विक मांग: भारत-पाक तनाव ने S-400, आकाश, और Patriot जैसे सिस्टम की मांग बढ़ाई। वैश्विक मिसाइल बाजार 2030 तक $73 बिलियन तक पहुंच सकता है।

  • भारत की भूमिका: भारत ने आकाश और ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्यात शुरू किया (फिलीपींस, आर्मेनिया)।

  • प्रमुख खिलाड़ी: रूस (S-400), अमेरिका (Patriot), भारत (आकाश, ब्रह्मोस)।

3. साइबर हथियार

  • वैश्विक मांग: साइबर हमले और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध की मांग बढ़ रही है। साइबर सुरक्षा बाजार 2030 तक $300 बिलियन तक पहुंच सकता है।

  • भारत की भूमिका: भारत ने फ्रांस को साइबर सॉफ्टवेयर निर्यात किए और DRDO AI-आधारित सिस्टम विकसित कर रहा है।

  • प्रमुख खिलाड़ी: अमेरिका, इज़राइल, चीन।

4. लड़ाकू विमान

  • वैश्विक मांग: राफेल और F-35 जैसे जेट की मांग बढ़ी। वैश्विक लड़ाकू विमान बाजार 2030 तक $100 बिलियन तक पहुंच सकता है।

  • भारत की भूमिका: राफेल का उपयोग और तेजस का निर्यात (मलेशिया, मिस्र)। AMCA का विकास 2030 तक निर्यात की संभावना बढ़ाएगा।

  • प्रमुख खिलाड़ी: अमेरिका (F-35), फ्रांस (राफेल), रूस (Su-30)।

5. नौसैनिक युद्धपोत

  • वैश्विक मांग: नौसैनिक क्षमता बढ़ाने की होड़ में वैश्विक नौसैनिक बाजार 2030 तक $50 बिलियन तक पहुंच सकता है।

  • भारत की भूमिका: भारत ने मॉरीशस और श्रीलंका को गश्ती जहाज निर्यात किए।

  • प्रमुख खिलाड़ी: अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी।

6. आर्टिलरी और रॉकेट सिस्टम

  • वैश्विक मांग: पिनाका और HIMARS जैसे सिस्टम की मांग बढ़ी। आर्टिलरी बाजार 2030 तक $20 बिलियन तक पहुंच सकता है।

  • भारत की भूमिका: पिनाका का आर्मेनिया को निर्यात ($250 मिलियन) और ATAGS की मांग।

  • प्रमुख खिलाड़ी: अमेरिका (HIMARS), भारत (पिनाका), फ्रांस (सीज़र)।

7. AI-आधारित हथियार

  • वैश्विक मांग: AI और स्वायत्त हथियारों की मांग बढ़ रही है। AI रक्षा बाजार 2030 तक $15 बिलियन तक पहुंच सकता है।

  • भारत की भूमिका: DRDO का Ghatak UCAV और AI सॉफ्टवेयर विकास।

  • प्रमुख खिलाड़ी: अमेरिका, इज़राइल, चीन।

  • भारत की हथियार निर्यात स्थिति

    • 2020–2024: भारत ने 2024 में $2.63 बिलियन का रक्षा निर्यात किया, जिसमें 32.5% वृद्धि हुई।

    • प्रमुख निर्यात: ब्रह्मोस (फिलीपींस), आकाश (आर्मेनिया), पिनाका (आर्मेनिया)।

    • चुनौतियाँ: कम मूल्य के उत्पाद और दीर्घकालिक खरीदारों की कमी।

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वैश्विक हथियार व्यापार पर प्रभाव

2024 में वैश्विक हथियार व्यापार $111.615 बिलियन तक पहुंचा, जो शीत युद्ध के बाद का उच्चतम स्तर है। भारत-पाक तनाव ने इस व्यापार को और बढ़ावा दिया।

प्रमुख निर्यातक और लाभार्थी

  1. अमेरिका (43% हिस्सेदारी):

    • लाभ: F-35, Patriot, और ड्रोन की मांग बढ़ी। भारत और सऊदी अरब जैसे ग्राहकों से आय।

    • रणनीति: NATO और मध्य पूर्व में साझेदारियाँ।

  2. फ्रांस (9.6% हिस्सेदारी):

    • लाभ: राफेल की मांग भारत और मध्य पूर्व में बढ़ी। भारत का 28% निर्यात हिस्सा।

    • रणनीति: यूक्रेन और भारत जैसे उभरते बाजारों पर ध्यान।

  3. रूस (7.8% हिस्सेदारी):

    • लाभ: S-400 की मांग भारत और अन्य देशों में। यूक्रेन युद्ध के बावजूद भारत प्रमुख ग्राहक।

    • चुनौती: प्रतिबंधों ने निर्यात सीमित किया।

  4. चीन (5% हिस्सेदारी):

    • लाभ: पाकिस्तान को JF-17 और ड्रोन आपूर्ति। उप-सहारा अफ्रीका में वृद्धि।

    • चुनौती: पाकिस्तान की आर्थिक अस्थिरता।

  5. तुर्की (1.6% हिस्सेदारी):

    • लाभ: Bayraktar TB2 और Kemankeş मिसाइल की मांग। पाकिस्तान इसका प्रमुख ग्राहक।

    • रणनीति: सस्ते और प्रभावी ड्रोन पर ध्यान।

 

 

लोकप्रिय हथियार और उनकी मांग

ऑपरेशन सिंदूर ने कुछ हथियारों की वैश्विक मांग को उजागर किया:

1. असॉल्ट राइफल्स

  • AK-47 (रूस): 100+ मिलियन यूनिट बिक्री, सस्ता और टिकाऊ।

  • M16 (अमेरिका): 8+ मिलियन यूनिट, NATO का प्रमुख राइफल।

2. टैंक

  • T-72 (रूस): 20,000+ यूनिट, 40+ देशों में उपयोग।

  • M1 Abrams (अमेरिका): 8,800+ यूनिट, मध्य पूर्व और यूरोप में।

3. लड़ाकू विमान

  • MiG-21 (रूस): 60+ देशों में उपयोग, भारत में व्यापक।

  • F-16 (अमेरिका): 25+ देश, पाकिस्तान का प्रमुख जेट।

  • राफेल (फ्रांस): भारत और मध्य पूर्व में मांग।

4. मिसाइल सिस्टम

  • S-400 (रूस): भारत में प्रभावी उपयोग।

  • Patriot (अमेरिका): मध्य पूर्व में लोकप्रिय।

  • आकाश (भारत): स्वदेशी मिसाइल की मांग बढ़ी।

ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की सैन्य और कूटनीतिक ताकत को वैश्विक मंच पर स्थापित किया, जबकि पाकिस्तान की साख और सैन्य क्षमता को गहरा झटका लगा। इस तनाव ने ड्रोन, मिसाइल, साइबर हथियार, और लड़ाकू विमानों की मांग को बढ़ाया, जिसमें अमेरिका, फ्रांस, और रूस जैसे निर्यातक प्रमुख लाभार्थी रहे। भारत के स्वदेशी हथियार (ब्रह्मोस, आकाश, पिनाका) वैश्विक बाजार में उभर रहे हैं, लेकिन दीर्घकालिक खरीदारों और उच्च-मूल्य निर्यात पर ध्यान देना होगा। वैश्विक हथियार व्यापार 2030 तक और वृद्धि करेगा, जिसमें भारत एक उभरता खिलाड़ी बन सकता है।

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