क्यों बने हैं U.R. Sahoo RPSC Chairman ?
देवेन्द्र सिंह इंडिया प्राइम जयपुर | क्यों बने हैं U.R. Sahoo RPSC Chairman ? राजस्थान के मौजूदा डीजीपी उत्कल रंजन साहू (U.R. Sahoo) को हाल ही में राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह फैसला सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया से कहीं बढ़कर है—यह राज्य सरकार की मंशा को दर्शाता है कि अब भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता सर्वोपरि होगी।
यू.आर. साहू की छवि एक ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ और निडर अफसर के रूप में रही है। वे न केवल अपने कार्यक्षेत्र में कठोर फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं, बल्कि भ्रष्टाचार और राजनीतिक दबाव के खिलाफ भी एक मजबूत दीवार के रूप में सामने आए हैं।
कौन हैं उत्कल रंजन साहू?
उत्कल रंजन साहू 1988 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी हैं। वे मूल रूप से ओडिशा से हैं, परंतु राजस्थान कैडर में कार्यरत हैं। उन्होंने विज्ञान क्षेत्र में स्नातकोत्तर (M.Tech in Geology) किया है और शुरू से ही उनका झुकाव अनुशासन और प्रशासन की ओर रहा है।
उनके कैरियर की शुरुआत जोधपुर में ASP के रूप में हुई थी। इसके बाद वे सीकर, श्रीगंगानगर, जोधपुर ग्रामीण, बाड़मेर, भिलवाड़ा, बांसवाड़ा, हनुमानगढ़ और धौलपुर जैसे जिलों में एसपी के रूप में तैनात रहे। अपने कार्यकाल के दौरान वे प्रशासनिक सख्ती, अपराध नियंत्रण और ईमानदार कार्यशैली के लिए लोकप्रिय रहे।
फील्ड पोस्टिंग में प्रमुख कार्य और निर्णय
. एसआई भर्ती परीक्षा घोटाले में साहसिक कदम
2025 में राजस्थान की SI और कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में डमी उम्मीदवारों और पेपर लीक की शिकायतें सामने आईं। कई अभ्यर्थियों की पहचान फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से भर्ती में भाग लेने वालों के रूप में हुई। इस गंभीर घोटाले में डीजीपी साहू ने बिना देरी किए सख्त कदम उठाए।
उन्होंने तुरंत सभी चयनित SI और कांस्टेबल अभ्यर्थियों को फील्ड ट्रेनिंग से हटाकर उनके मूल हेडक्वार्टर में रिपोर्ट करने का आदेश जारी किया।
SOG (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) के सहयोग से 50 से अधिक उम्मीदवारों की गिरफ्तारी हुई, जिनमें से कुछ को बाद में कोर्ट से जमानत भी मिली।
यह कार्रवाई केवल एक प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि साहू की ईमानदारी और पारदर्शिता की नीति का प्रमाण थी। इस फैसले को लेकर उच्च न्यायालय और प्रतियोगी परीक्षार्थियों ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।
. जोधपुर में अतिक्रमण विरोध के बीच पुलिस नेतृत्व
जोधपुर में 9 जून 2025 को अवैध अतिक्रमण हटाने के अभियान के दौरान पुलिस और नगर निगम कर्मियों पर स्थानीय लोगों द्वारा पथराव किया गया। स्थिति इतनी हिंसक हो गई कि पुलिस बल को पीछे हटना पड़ा।
परंतु कुछ ही घंटों में वरिष्ठ पुलिस नेतृत्व की निगरानी में पुनः कार्रवाई शुरू हुई। साहू ने फील्ड स्तर पर त्वरित रेस्पॉन्स सुनिश्चित कराया और 10 से अधिक अवैध निर्माण गिरा दिए गए। हिंसा के बावजूद कानून-व्यवस्था को नियंत्रण में रखा गया और उपद्रवियों को बाद में हिरासत में लिया गया।
ADG और DG स्तर पर रणनीतिक अनुभव
यू.आर. साहू सिर्फ फील्ड स्तर के अफसर नहीं रहे हैं, बल्कि उन्होंने नीति-निर्माण और इंटेलिजेंस स्तर पर भी लंबा अनुभव प्राप्त किया है।
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2014 से 2018 तक वे ADG, इंटेलिजेंस रहे।
इस दौरान उन्होंने वसुंधरा राजे सरकार के कई अहम निर्णयों में इंटेलिजेंस इनपुट प्रदान किए। -
इसके बाद उन्होंने DG, होम गार्ड्स के रूप में अपनी सेवाएं दीं।
इस दौरान उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षण कार्यक्रमों और महिला स्वयंसेवकों की भागीदारी को बढ़ावा दिया।
क्यों बनी उनकी नियुक्ति विशेष?
राज्य सरकार ने जिस प्रकार साहू को RPSC चेयरमैन के पद पर नियुक्त किया है, वह कई मायनों में बेहद प्रतीकात्मक और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है:
ईमानदार छवि
साहू की छवि एक ऐसे अफसर की रही है जिसने कभी भ्रष्टाचार से समझौता नहीं किया। न तो राजनीतिक दबाव में आए और न ही प्रभावशाली लॉबी के दबाव में।
भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की मिसाल
SI परीक्षा में की गई कार्रवाई से यह साफ हो गया कि वे निष्पक्ष और कठोर फैसलों से पीछे नहीं हटते।
केंद्र सरकार तक अच्छी फीडबैक
बताया जा रहा है कि साहू की कार्यशैली और ईमानदारी की रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) तक पहुंची, जिसके चलते उन्हें उच्च प्राथमिकता मिली।
नौजवानों में भरोसा
राजस्थान में लाखों प्रतियोगी परीक्षार्थी भर्ती घोटालों से त्रस्त हैं। ऐसे में साहू जैसे चेयरमैन की नियुक्ति एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखी जा रही है।
DGP की जिम्मेदारी अब किसके पास?
साहू के स्थान पर डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा को डीजीपी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। मेहरड़ा वर्तमान में ACB (Anti-Corruption Bureau) के महानिदेशक हैं। सरकार ने UPSC को 10 वरिष्ठ IPS अधिकारियों की सूची भेजी है, जिनमें से किसी एक को स्थायी डीजीपी बनाया जाएगा।
निष्कर्ष
यू.आर. साहू की नियुक्ति RPSC अध्यक्ष के रूप में केवल एक स्थानांतरण नहीं, बल्कि एक नीतिगत निर्णय है। यह राजस्थान सरकार की यह स्पष्ट घोषणा है कि अब भर्ती पारदर्शी होगी, ईमानदार अफसरों को जिम्मेदारी मिलेगी, और युवा वर्ग को न्याय मिलेगा।
ऐसे समय में जब परीक्षाएं लीक हो रही हों, पेपर बिक रहे हों और लाखों छात्र-छात्राएं हताश हो चुके हों, साहू जैसे व्यक्ति की नियुक्ति आशा की नई किरण है। राज्य की युवा पीढ़ी अब ऐसे चेहरों की ओर देख रही है जो सिस्टम को न केवल बेहतर बना सकें, बल्कि उसमें जनता का भरोसा भी बहाल कर सकें। साहू वह चेहरा हैं।