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“शराब: स्वाद, संस्कार और सिस्टम – एक वैश्विक यात्रा”

इंडिया प्राइम, भारत, देवेेन्द्र सिंह I शराब: स्वाद, संस्कार और सिस्टम – एक वैश्विक यात्रा I  शराब वह पेय है जो शरीर को एक विशेष “नशा” देता है, क्योंकि इसमें एथेनॉल (alcohol) नामक रसायन होता है।शराब को संस्कृत में “मद्य” कहा गया है। आयुर्वेद में इसे उत्तेजक और विषवर्धक पदार्थ माना गया है।आधुनिक विज्ञान के अनुसार, यह एक सेंट्रल नर्वस सिस्टम डिप्रेसेंट (CNS depressant) है। वर्तमान में विश्व की कुल $1.5 ट्रिलियन ग्लोबल इंडस्ट्री शराब पर निर्भर है। शराब उपभोग की वस्तु तो है ही बल्कि सरकारों के लिए कर (Tax) का एक स्थायी और अत्यंत लाभकारी स्रोत भी है। चाहे बात भारत की हो या अमेरिका और यूरोप की। भारत की चर्चा इसलिए जरुरू है क्योकि दुनिया में टॉप 30 शराब उपभोग वाले देशों में आता है, परंतु प्रति व्यक्ति खपत अपेक्षाकृत कम है। लेकिन कुल जनसंख्या के हिसाब से दुनिया के टॉप 3 में से एक है (क्योंकि भारत में लोग बहुत अधिक हैं)।

“शराब: स्वाद, संस्कार और सिस्टम – एक वैश्विक यात्रा”

वैश्विक स्तर पर WHO और Euromonitor डेटा के अनुसार दुनिया भर में बिकने वाली शराब में से 25% से 30% तक अवैध या गैर-कानूनी रूप से बेची जाती है। यही नही विश्व में हर साल लगभग 30 लाख (3 million) लोग शराब से संबंधित कारणों से मरते हैं। WHO और कई स्वतंत्र रिपोर्ट्स की माने तो दुनिया भर में हर साल लगभग 100,000 से 150,000 लोग अवैध, मिलावटी या जहरीली शराब पीने से मरते हैं। अगर आकड़ों पर नजर डाले तो दुनिया भर में शराब से जितनी सरकारें कमाती हैं, उससे तीन गुना ज़्यादा पैसा इसके दुष्परिणामों को संभालने में खर्च होता है। भारत में शराब से मिलने वाले हर ₹1 कमाने पर सामाजिक असर संभालने में ₹2–3 खर्च करने पड़ते हैं।

शराब पीने वालों के पीछे कई कारण होते हैं, और आंकड़ों के आधार पर हम इन कारणों का मोटा प्रतिशत समझ सकते हैं। शराब दुनिया में तीसरा सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला नशा है, कैफीन (चाय, कॉफी) और तंबाकू के बाद यह सबसे घातक नशा माना जाता है। विश्व जनसंख्या के कुल 1.2 अरब लोगों में से लगभग 10% 12 करोड़ लोग प्रति दिन हर दिन शराब पीते हैं अगर हर घंटे की बात करे तो 50 लाख लोग प्रति घंटे शराब का सेवन कर रहे होते हैं। आँकड़े विभिन्न वैश्विक अध्ययन (WHO, NIAAA, Global Burden of Disease Study आदि) और भारत केंद्रित सर्वे (NFHS-5, AIIMS, Ministry of Health) पर आधारित हैं। वैश्विक स्तर पर ~30–35% वयस्क पुरुष शराब का सेवन करते हैं जबकि  केवल ~12–15% वयस्क महिलाएं शराब पीती हैं। यानी दुनिया में शराब पीने वालों में लगभग 70–75% पुरुष होते हैं, जबकि 25–30% महिलाएं।

स्त्री बनाम पुरुष: शराब पीने के कारण और प्रतिशत

कारण पुरुषों (%) महिलाओं (%) टिप्पणी
सामाजिक/सांस्कृतिक अवसर 40–45% 30–35% पुरुषों में ज्यादा खुलापन व सामाजिक अनुमोदन
तनाव/चिंता से राहत 20–25% 30–35% महिलाओं में भावनात्मक तनाव से पीने की प्रवृत्ति अधिक
Peer Pressure / साथी प्रभाव 20–25% 15–18% युवाओं में सामान्य कारण, पुरुषों में थोड़ा अधिक
मनोरंजन/मज़ा के लिए 15–20% 10–12% पुरुषों में एडवेंचर और “मर्दानगी” की छवि से जुड़ा
आदत / लत बन जाना 10–15% 6–8% पुरुषों में लत बनने की संभावना अधिक (biological और सामाजिक दोनों कारणों से)
उत्सुकता / जिज्ञासा 6–8% 5–6% महिलाएं अपेक्षाकृत कम curiosity-driven होती हैं इस मामले में
विज्ञापन/मीडिया प्रभाव 5–7% 4–5% दोनों पर असर पड़ता है, लेकिन पुरुष अधिक लक्षित होते हैं विज्ञापनों में

WHO, World Bank और Our World in Data की रिपोर्ट्स (2023-2024)। नीचे प्रमुख देशों के जनसंख्या अनुपात के अनुसार शराब पीने वालों का प्रतिशत दिया गया है।यूरोपीय देशों में 80% वयस्क आबादी शराब पीती है संस्कृति, खुले कानून, नियंत्रण का अभाव इसका मुख्य कारण है। जबकि भारत, बांग्लादेश, इंडोनेशिया जैसे देशों में प्रतिशत कम है, लेकिन संख्या बहुत बड़ी है क्योंकि जनसंख्या बहुत अधिक है। जैसे भारत में केवल 15% लोग शराब पीते हैं, फिर भी संख्या ~22 करोड़ है — जो फ्रांस की पूरी आबादी से अधिक है। शराब का असर सिर्फ “प्रति व्यक्ति लीटर” से नहीं, कितने लोग पीते हैं और कैसे पीते हैं, इससे भी पता चलता है।

देशवार शराब पीने वालों की प्रतिशत जनसंख्या (15+ आयु वर्ग)

देश कुल जनसंख्या (2024 अनुमान) शराब पीने वाले वयस्कों का प्रतिशत शराब पीने वालों की संख्या (अनुमान)
🇨🇿 चेक गणराज्य ~1.1 करोड़ 91% ~99 लाख
🇫🇷 फ्रांस ~6.7 करोड़ 85% ~5.7 करोड़
🇩🇪 जर्मनी ~8.3 करोड़ 87% ~7.2 करोड़
🇷🇺 रूस ~14.3 करोड़ 75% ~10.7 करोड़
🇮🇪 आयरलैंड ~50 लाख 88% ~44 लाख
🇬🇧 UK (ब्रिटेन) ~6.8 करोड़ 80% ~5.4 करोड़
🇺🇸 अमेरिका ~34 करोड़ 63–65% ~21–22 करोड़
🇮🇳 भारत ~142 करोड़ ~14–16% (NFHS-5) ~20–22 करोड़
🇧🇩 बांग्लादेश ~17 करोड़ <5% (मुख्यतः पुरुष) ~50–80 लाख
🇮🇩 इंडोनेशिया ~27 करोड़ ~3–4% ~1 करोड़
🇳🇬 नाइजीरिया ~22 करोड़ ~10–12% ~2.5 करोड़

Pew Research, WHO Reports, Gallup Polls और धर्मशास्त्रीय नियमों पर आधारित हैं

WHO और विशेषज्ञों के अनुसार सेहत के लिए सुरक्षित शराब की मात्रा “Moderation is key.” लिंग प्रतिदिन सुरक्षित मात्रा प्रति सप्ताह अधिकतम निर्धारित है। इसके अनुसार पुरुष 2 ड्रिंक तक 14 ड्रिंक्स तक और महिला 1 ड्रिंक तक 7 ड्रिंक्स तक पीने को सुरक्षित माना गया है। शरीर में  शराब पहले मुँह → पेट → खून → दिमाग → GABA/Dopamine → रिलीज़ करती है और  इससे भावनात्मक राहत मिलती है और यही आदत फिर शराब की निर्भरता में बदल जाती हैं। यहां यह जानना जरुरी है कि 1 ड्रिंक में शराब की कितनी मात्रा तय है यह भी निर्धारित है। जैसे बीयर: 330 ml, वाइन: 150 ml, व्हिस्की/वोडका: 30 ml है। मस्तिक्ष में नशा होने का अहसास खुन में अलकोहल की मात्रा तय करता है।

नशा महसूस होने की शुरुआत और स्तर (BAC = Blood Alcohol Concentration के आधार पर):

BAC (%) प्रभाव
0.03–0.06 हल्का नशा, थोड़ी खुशी
0.06–0.10 बोलने और सोचने में परेशानी
0.10–0.20 संतुलन और नियंत्रण खोना
0.20–0.30 भ्रम, स्मृति हानि
>0.30 बेहोशी, श्वास रुकना, मौत संभव

दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में शराब की पसंद देश की संस्कृति, जलवायु और परंपराओं पर निर्भर करती है। यूरोप के देशों में बीयर और वाइन सबसे लोकप्रिय हैं जैसे बीयर विकसित देशों में सबसे लोकप्रिय ग्लोबली है वही स्पिरिट्स (वोदका, व्हिस्की, रम) अधिकतर उभरते देशों या ठंडे देशों में लोकप्रिय हैं। लेकिन भारत अफ्रिका जैसे देशो में स्थानीय शराब गरीब, ग्रामीण या सांस्कृतिक समूहों में अधिक पाई जाती है। भारत में सबसे ज़्यादा व्हिस्की (IMFL) का सेवन होता है — भारत दुनिया का सबसे बड़ा व्हिस्की उपभोक्ता है। साथ ही देशी शराब जैसे महुआ, ताड़ी और अर्रक ग्रामीण और निम्न-आय वर्गों में व्यापक रूप से पाई जाती है। अमेरिका में बीयर सबसे लोकप्रिय है, लेकिन वहां व्हिस्की और वाइन दोनों का इस्तेमाल भी बड़े पैमाने पर होता है। मैक्सिको की पहचान टकीला से है, जबकि ब्राज़ील में गन्ने से बनी स्थानीय शराब कैशासा बेहद लोकप्रिय है। अफ्रीका और दक्षिण एशिया के कई हिस्सों में देसी और अवैध शराब का चलन अधिक है, जो अकसर स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होती है।

क्या शराब लाभ का सौदा है?

लगभग हर विकसित और विकासशील देश में शराब से मिलने वाली आय उससे कई गुना ज्यादा खर्च में शराब से होने वाले प्रभावो पर खर्च में चली जाती है। आकड़े बताते है कि आर्थिक रूप से शराब की बिक्री और खर्च सिर्फ सरकार के बजट में नहीं, बल्कि जनता की जेब और स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।

विश्व के प्रमुख देशों की तुलना: शराब से आय बनाम सामाजिक खर्च

देश सालाना सरकारी आय (USD) शराब से होने वाला अनुमानित सामाजिक खर्च तुलना (लाभ/नुकसान)
🇺🇸 अमेरिका $10–12 अरब (फेडरल+स्टेट टैक्स) ~$249 अरब/वर्ष (स्वास्थ्य, सड़क हादसे, अपराध) 20 गुना ज्यादा खर्च
🇬🇧 यूके £12–14 अरब £27–30 अरब/वर्ष खर्च 2x से ज्यादा
🇫🇷 फ्रांस €11–12 अरब €20–22 अरब नुकसान में
🇩🇪 जर्मनी €14 अरब €40 अरब+ (स्वास्थ्य + कार्यस्थल नुकसान) भारी सामाजिक लागत
🇨🇦 कनाडा $10 अरब $15–20 अरब नुकसान स्पष्ट
🇮🇳 भारत ₹2.5 लाख करोड़+ (30+ अरब USD) ₹1.9–2.5 लाख करोड़ (स्वास्थ्य, अपराध, अवैध शराब मौत) अभी भी कुछ लाभ, लेकिन घटता जा रहा
🇨🇳 चीन $20 अरब+ ~$60 अरब (कैंसर, लीवर, दुर्घटना खर्च) नुकसान अधिक
🇦🇺 ऑस्ट्रेलिया A$6 अरब A$15–20 अरब 3 गुना खर्च
🇷🇺 रूस $8–9 अरब ~$20 अरब+ मध्यम नुकसान
🇿🇦 दक्षिण अफ्रीका $2 अरब $4.5 अरब (WHO रिपोर्ट) दुगना नुकसान

बिलकुल, अब हम शराब को लेकर फैली भ्रांतियों (myths) को देशवार समझते हैं — यानी किस देश में लोग शराब को लेकर क्या ग़लतफहमियाँ रखते हैं, और वो भ्रांतियाँ वहाँ की संस्कृति, समाज, मीडिया या इतिहास से कैसे जुड़ी हैं।


देशवार शराब से जुड़ी प्रमुख भ्रांतियाँ (Cultural Alcohol Myths by Country)


🇺🇸 अमेरिका (USA)

भ्रांति: “मॉडरेट (थोड़ी) शराब पीना दिल के लिए फायदेमंद है।”
वास्तविकता:
इस धारणा को 1990s में रेड वाइन से जोड़ा गया (French Paradox)। पर हाल के WHO और The Lancet अध्ययनों ने साफ़ किया कि कोई भी मात्रा सुरक्षित नहीं है

कारण:

  • शराब कंपनियों की लॉबिंग
  • टीवी शो और फिल्मों में वाइन को “sophisticated” दिखाना
  • “Cheers culture” और Happy Hours

🇬🇧 ब्रिटेन (UK)

भ्रांति: “Pub culture में शराब पीना जीवन का हिस्सा है — यह कोई लत नहीं, सिर्फ सामाजिकता है।”
वास्तविकता:
ब्रिटेन में binge drinking की दर यूरोप में सबसे ज़्यादा है, जो मानसिक स्वास्थ्य, सड़क दुर्घटनाओं और उत्पादकता को नुकसान पहुंचाती है।

कारण:

  • Pub और Football संस्कृति
  • Weekend binge drinking को सामान्य मानना
  • “लड़कों का मस्ती करना” = सामाजिक स्वीकार्यता

🇫🇷 फ्रांस

भ्रांति: “रेड वाइन तो खाना पचाने और दिल के लिए दवा है।”
वास्तविकता:
रेड वाइन में कुछ एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, लेकिन उनकी मात्रा इतनी कम होती है कि इसके लिए शराब पीना हानिकारक है।

कारण:

  • French cuisine में वाइन को मुख्य भूमिका
  • मीडिया और वाइन इंडस्ट्री का सांस्कृतिक प्रभाव
  • “French elegance” की छवि

🇨🇳 चीन

भ्रांति: “बाईजिऊ (Baijiu) सामाजिक, व्यापारिक सफलता की निशानी है।”
वास्तविकता:
बाईजिऊ में 50% से अधिक अल्कोहल होता है, और ये कई बार Liver Disease और शराबीपन का कारण बनता है, फिर भी व्यापारिक बैठकों में इसे मना करना असभ्यता मानी जाती है।

कारण:

  • बिज़नेस डिनर में शराब पीना “आदर” का संकेत
  • पारंपरिक संस्कृति में पीने को मर्दानगी से जोड़ना
  • “Ganbei” (bottoms up) की परंपरा

🇯🇵 जापान

भ्रांति: “कार्यालय के बाद सहकर्मियों संग पीना काम का हिस्सा है।”
वास्तविकता:
“Nomikai” (शराब पार्टी) संस्कृति में शामिल न होना सामाजिक रूप से बहिष्कार जैसा माना जाता है, पर इससे मानसिक थकान, लत और burnout की समस्याएं बढ़ रही हैं।

कारण:

  • कड़ाई से भरा कार्य-संस्कृति तंत्र
  • Group harmony बनाए रखने का दबाव
  • “In-group drinking” को दोस्ती का प्रमाण मानना

🇷🇺 रूस

भ्रांति: “ठंड से बचने के लिए वोदका ज़रूरी है।”
वास्तविकता:
वोदका शरीर को गर्म महसूस तो कराता है, लेकिन वास्तव में शरीर का ताप और प्रतिरोधक क्षमता घटाता है

कारण:

  • ऐतिहासिक रूप से हर मौके पर वोदका पीने की परंपरा
  • सर्द जलवायु में एकमात्र “सहारा” समझा जाना
  • राज्य की वोदका इंडस्ट्री से आय की निर्भरता (सोवियत युग)

🇮🇳 भारत

भ्रांति:

  1. “देशी शराब प्राकृतिक है इसलिए नुकसान नहीं करती”
  2. “मर्दानगी शराब से जुड़ी है”

वास्तविकता:

  • देशी शराब में मेथनॉल जैसी ज़हरीली चीजें होती हैं, जो कई बार अंधापन और मौत का कारण बनती हैं।
  • मर्दानगी को शराब से जोड़ना घरेलू हिंसा, सड़क दुर्घटना और आत्महत्या जैसी समस्याओं को जन्म देता है।

कारण:

  • गाँवों में अशिक्षा और जागरूकता की कमी
  • फिल्मों में हीरो की शराब के साथ छवि
  • सामाजिक स्वीकार्यता (“मर्द तो पीते ही हैं”)

🇧🇷 ब्राज़ील

भ्रांति: “कैशासा (स्थानीय रम) पारंपरिक है, इसलिए सुरक्षित है।”
वास्तविकता:
घरेलू कैशासा कई बार बिना मानक के बनती है, जिससे स्वास्थ्य को गंभीर खतरा होता है।

कारण:

  • सांस्कृतिक गर्व
  • त्योहारों और फेस्टिवल में शराब का अत्यधिक उपयोग
  • रेगुलेशन की कमी

शराब उद्योग का वैश्विक मूल्य लगभग $1.5–1.6 ट्रिलियन प्रति वर्ष है। यह शराब की बिक्री, उत्पादन, टैक्स आदि का कुल व्यय है। शराब से होने वाली विश्व की कुल मौतों का लगभग 5.3% है।यह हिस्सेदारी कुछ क्षेत्रों में और भी ज्यादा है — जैसे: अफ्रीका: 40% तक , दक्षिण एशिया (भारत, बांग्लादेश): 30–40% ,लैटिन अमेरिका: 20–35% तक है। एक नजर मेडिकेशन बाजार (Alcohol Use Disorder/Dependency Treatments) पर डाले तो साल 2023 में, इस उपचार बाजार का मूल्य लगभग $700 मिलियन से $1.0 बिलियन के बीच था, जो कि 2033 तक बढ़कर $1.3–1.4 बिलियन तक पहुँचने की संभावना है । 2022 में केवल मेडिकेशन द्वारा शराब निर्भरता का इलाज करने वाली दवाओं (Medication-for-Alcohol-Dependence) की मार्केट लगभग $2.5 बिलियन थी और यह 2030 तक बढ़कर लगभग $4.1 बिलियन होने की उम्मीद है।

अगर विश्व में पूरी तरह शराब बंदी हो जाए, तो हम अनुमान लगा सकते हैं कि उच्च शराब सेवन वाले देशों में जीवन प्रत्याशा कितनी बढ़ सकती है, शराब बंदी हो तो जीवन प्रत्याशा उच्च सेवन वाले देशों में 2 से 5 वर्ष तक बढ़ सकती है। आर्थिक विकासशील देशों में शराब सेवन से पुरुषों को औसतन 1.76 वर्ष और महिलाओं को लगभग 0.6 वर्ष की विक्षिप्त जीवन प्रत्याशा घटती है। अमेरिका में Prohibition के दौरान जन्मे लोगों में मुक्त-शराब ज़ोन (“dry counties”) में रहने वालों की आयु आशा 1.7 वर्ष अधिक रही, जिन देशों या राज्यों में शराब पर नियंत्रण सख़्त है, वहाँ शराब जनित बीमारियों, दुर्घटनाओं, और सामाजिक हिंसा में उल्लेखनीय कमी देखी गई है।

देश / राज्य शराब नीति शराब जनित रोग / दुर्घटनाएँ औसत जीवन प्रत्याशा
सऊदी अरब पूर्ण प्रतिबंध बेहद कम / शून्य 75.7 वर्ष
कुवैत पूर्ण प्रतिबंध शून्य 77.3 वर्ष
मालदीव सीमित न्यूनतम 79.2 वर्ष
ईरान प्रतिबंधित कम 77.5 वर्ष
गुजरात (भारत) प्रतिबंध नियंत्रण में, पर अवैध खतरा ~71 वर्ष
बिहार (भारत) प्रतिबंध अपराध घटे, पर अवैध शराब चुनौती ~70 वर्ष

जब हम वैश्विक आँकड़ों, सामाजिक प्रभावों और वैज्ञानिक तथ्यों को एक साथ देखते हैं, तो यह साफ़ होता है कि औसत शराब पीने वाला व्यक्ति अपने जीवन के 10–15 साल कम कर देता है, लाखों रुपये की कमाई गँवा देता है, और अनगिनत रिश्तों को खो बैठता है — सिर्फ कुछ घंटों के नशे के लिए। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, शराब सेवन से होने वाली बीमारियों से विश्व में हर साल 30 लाख लोग मरते हैं — यानी हर 10 सेकंड में एक मौत।  मानसिक और पारिवारिक प्रभाव और भी गहरे हैं — घरेलू हिंसा, तलाक, बच्चों की उपेक्षा और सामाजिक अलगाव जैसे घाव अक्सर दिखते नहीं, पर सालों तक रिसते रहते हैं।

 

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